कंप्यूटर की पीढ़ीयां (Generations of computers) को मुख्य रूप से पांच भागों में बांटा जाता है। प्रत्येक पीढ़ी में कंप्यूटर के आकार, प्रकार और उसकी कार्यप्रणाली में काफी बदलाव होते आए है। पहली पीढ़ी के कंप्यूटर की तुलना में आज की पीढ़ी के कंप्यूटर काफी आधुनिक हो चुके है।
Table of Contents

कंप्यूटर की पीढ़ीयां (Generations of computers)
पहली पीढ़ी से पांचवीं पीढ़ी तक कंप्यूटर में काफी सारे बदलाव हुए है। जैसे जैसे इसमें संशोधन होता गया वैसे वैसे कंप्यूटर अधिक आधुनिक और इस्तेमाल करने में आसान होता गया। कंप्यूटर की पहली पीढ़ी से वर्तमान पीढ़ी तक क्या कुछ बदलाव हुए इसकी जानकारी निम्नलिखित है।
पहली पीढ़ी (1940 – 1956)
1940 से 1956 तक की अवधि को कंप्यूटर की पहली पीढ़ी के रूप में जाना जाता है। पहली पीढ़ी (1st generation) के कंप्यूटर 1940 में शुरू हुए थे और यह 1956 तक चले। पहली पीढ़ी के कम्प्यूटर्स में वैक्यूम ट्यूब (vaccum tube) यानी कांच की नलियों का इस्तेमाल किया गया था । जिसके माध्यम से संदेशों को नियंत्रित किया जाता था। यह अपने समय की सबसे तेज़ मशीन थी और गणना करने में एक सेकंड से भी कम समय लगता था।
इस पीढ़ी के कंप्यूटर आकार में बहुत ही बड़े और भारी होते थे । और इनको सही से रखने के लिए बहुत ही बड़े कमरों की ज़रूरत होती थी । क्यों की यह कंप्यूटर बहुत ही बड़े थे और बहुत अधिक गर्मी उत्पन्न करते थे, इस लिए इन्हें एयर कंडीशनर (एसी) air conditioner की ज़रूरत होती थी । इस पीढ़ी के कंप्यूटर में कंप्यूटर internal memory के रूप में magnetic drum का प्रयोग करते थे ।
दुसरी पीढ़ी (1956 – 1963)
1956 से 1963 तक की अवधि को कंप्यूटर की दूसरी पीढ़ी के रूप में जाना जाता है। 1956 में दुसरी पीढ़ी (2nd generation) के कंप्यूटर्स शुरू हुए और यह 1963 तक प्रयोग में लिये गए । इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में वैक्यूम ट्यूबों (vacuum tubes)के स्थान पर ट्रांजिस्टर (transistor) का प्रयोग किया गया।
ये कंप्यूटर पहली पीढ़ी के कंप्यूटरों की तुलना में आकार में छोटे थे। और पहली पीढ़ी की तुलना में कम गर्मी पैदा करते थे । यह पहली पीढ़ी की तुलना में बहुत तेजी से गणना भी कर सकता थे । इस पीढ़ी के कंप्यूटर बहुत सारी जानकारी संग्रहीत कर सकते थे। शुरुआत में इन कम्प्यूटरों का प्रयोग केवल परमाणु अनुसंधान केन्द्रों में ही किया जाता था और धीरे-धीरे इनका प्रयोग बड़ी कम्पनियों, व्यवसायों, विश्वविद्यालयों और सरकारी कार्यों में भी होने लगा।
और पढें…
तिसरी पीढ़ी (1963 – 1971)
1963 से 1971 की अवधि को कंप्यूटर की तीसरी पीढ़ी के रूप में जाना जाता है। तिसरी पीढ़ी (3 rd generation) के कंप्यूटर्स 1963 में शुरू हुए थे और यह 1971 तक चले। इस पीढ़ी में कंप्यूटरों में ट्रांजिस्टर Transistors के स्थान पर सिलिकॉन चिप्स Silicon chips का प्रयोग किया गया। जिसे semi-conductors के नाम से जाना जाता है । सिलिकॉन चिप्स में इंटीग्रेटेड सर्किट integrate circuit (आईसी) का उपयोग किया गया। इससे कंप्यूटर का आकार छोटा करना संभव हो गया।
कंप्यूटर में इंटीग्रेटेड सर्किट के उपयोग से कंप्यूटर की गति को और बढ़ाने में मदद मिली। इन कम्प्यूटर्स पर एक ही समय पर अलग अलग काम हो सकते थे । स्केल इंटीग्रेटेड सर्किट Scale integrate circuit की वजह से इन कम्प्यूटर्स की रफ्तार मायक्रो सेकंड micro seconds से नॅनो सेकंद nano seconds हो चुकी थी । ऑपरेटिंग सिस्टीम Operating System का प्रयोग भी इन पीढ़ी के कम्प्यूटर्स में होने लगा।
चौथी पीढ़ी (1971 – 1980)
1971 से 1980 तक की अवधि को कंप्यूटर की चौथी पीढ़ी के रूप में जाना जाता है। माइक्रोप्रोसेसरों (microprocessor) का प्रयोग चौथी पीढ़ी के कंप्यूटरों में किया गया। इस पीढ़ी में माइक्रोप्रोसेसर चिप्स (microprocessor chips)का निर्माण हुआ। Binary Code 0 और 1 का उपयोग होने लगा । इस पीढ़ी के कंप्यूटर्स के कम्प्यूटर्स Binary digits के रूप में जाने जाते हैं । इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में वेरी लार्ज स्केल इंटीग्रेटेड (वीएलएसआई) Very Large Scale Integrated (VLSI) सर्किट का प्रयोग किया गया। जिससे हजारों ट्रांजिस्टर को एक ही चिप में रखा जा सका ।
चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर अधिक शक्तिशाली, कॉम्पैक्ट, विश्वसनीय और सस्ते थे । परिणामस्वरूप, इस पीढ़ी में पर्सनल कंप्यूटर (पीसी) क्रांति का जन्म हुआ। सबसे पहला Micro कंप्यूटर MITS कंपनी ने बनाया था । Intel और AMD दुनिया की सबसे बढ़ीं 2 कंपनियां हैं जो microprocessor बनाती हैं ।इस पीढ़ी में तेज़ रफ्तार वाले नेटवर्क विकसित हुए जिसे लोकल एरिया नेटवर्क (local area network) और वाइड एरिया नेटवर्क (wide area network) कहते हैं ।
एम. एस. डॉस (MS DOS) जो की एक ऑपरेटिंग सिस्टीम operating system है, उसका प्रयोग भी इसी पीढ़ी में पहली बार हुआ था । इसी पीढ़ी में C programming language का विकास भी हुआ था, जिसके कारण प्रोग्रामिंग programming करना बहुत ही आसान हो चुका था । पर्सनल कंप्यूटर Personal computer के रूप में हम आज कंप्यूटर का उपयोग करने लगे हैं ।
पांचवी पीढ़ी (1980 से वर्तमान)
1980 से लेकर वर्तमान तक की अवधि को कंप्यूटर की पांचवीं पीढ़ी के रूप में जाना जाता है। वर्तमान समय मैं हम जो कंप्यूटर इस्तेमाल कर रहे हैं वह पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर है । और यह कंप्यूटर पिछले सभी पीढ़ी के कंप्यूटर से ज्यादा आधुनिक है । इस पीढ़ी में ULSI (अल्ट्रा लार्ज स्केल इंटीग्रेशन) (Ultra Large Scale Integration) तकनीक का प्रयोग किया गया। परिणामस्वरूप माइक्रोप्रोसेसर चिप्स में लाखों इलेक्ट्रॉनिक घटक होते हैं।
यह पीढ़ी कृत्रिम बुद्धिमत्ता (artificial intelligence) पर आधारित है। जिसमें अधिकांशतः कम्प्यूटर्स खुद ही मनुष्यों की तरह सोचने की क्षमता रखते हैं । कम्प्यूटर्स को उस योग्य बनाया जा रहा है ताकि यह हर तरह का काम कर सकें और लोगों का काम आसान और आरामदायी हो सके । इन कम्प्यूटर्स को काफी हद तक सफलता भी प्राप्त हो चुकी है । जैसे की – Google assistant , Alexa, Windows cortana , और Apple siri आदि ।
इन कम्प्यूटर्स में हाई लेवल लेन्ग्वेज (high level language) का प्रयोग किया जाता है । जैसे C, C++, Java, Dot Net आदि । Graphical User Interface (GUI) के ज़रिये इसे बहुत ज़्यादा आसान बनाया जा रहा है । पांचवीं पीढ़ी (fifth generation) के कम्प्यूटर्स किसी भी कार्य की मुसीबत को सुलझाने के लिए आंतरजाल (Internet) का प्रयोग करते हैं । ऐसा इसलिए क्यों की यह एक दूसरे के साथ एक network के द्वारा जुड़े होते हैं । इस पीढ़ी के कुछ कंप्यूटर डेस्कटॉप, लैपटॉप, नोटबुक, अल्ट्राबुक, क्रोमबुक, स्मार्टफोन्स आदि हैं ।
कंप्यूटर की पहली पीढ़ी के बारे में जानकर बहुत दिलचस्प लगा, खासकर यह कि वे वैक्यूम ट्यूब का उपयोग करते थे। यह कल्पना करना मुश्किल है कि इतने बड़े और भारी कंप्यूटर कैसे काम करते होंगे। दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों में ट्रांजिस्टर का उपयोग करने से प्रगति देखने को मिली, जिससे उनका आकार छोटा हो गया। क्या तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों में सिलिकॉन चिप्स का उपयोग करने से और क्या बदलाव आए?
कंप्यूटर के विकास की पीढ़ियों के बारे में जानना बहुत रोचक है। पहली पीढ़ी के कंप्यूटरों का आकार और उनकी कार्यप्रणाली आज के समय में बहुत आश्चर्यजनक लगती है। दूसरी पीढ़ी ने ट्रांजिस्टर के उपयोग से कंप्यूटरों को छोटा और अधिक कुशल बनाया। तीसरी पीढ़ी ने सिलिकॉन चिप्स के माध्यम से कंप्यूटर प्रौद्योगिकी में एक नया मोड़ लाया। क्या भविष्य में कंप्यूटर और किस तरह से विकसित होंगे?