कंप्यूटर का उपयोग करते समय हम विभिन्न Computer ke parts उपकरणों का उपयोग करते हैं। जैसे कीबोर्ड, माउस, मॉनिटर, प्रिंटर इत्यादि। इन Computer ke parts उपकरणों का उपयोग क्या है, यह हम जानेंगे।
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कंप्यूटर के विभिन्न अंग । Computer ke parts
वैसे तो कंप्यूटर कई महत्वपूर्ण भागों से मिलकर बनता है। लेकिन इन Computer ke parts को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जाता है।
1 हार्डवेयर
2 सॉफ्टवेयर
1 हार्डवेयर (Hardware):
कंप्यूटर के वे समस्त पार्ट्स जो हमें दिखाई देते है, या फिर जिन्हें हम स्पर्श यानि छू सकते है, उन्हें हार्डवेयर (Hardware) कहते है।
हार्डवेयर वे डिवाइस होते है, जो कंप्यूटर सिस्टिम को चलाने के लिए आवश्यक होते है। कंप्यूटर हार्डवेयर में कंप्यूटर के कई सारे भौतिक भाग शामिल होते हैं, जैसे कि, कीबोर्ड, माउस, मॉनिटर, प्रिंटर, मदरबोर्ड, प्रोसेसर इत्यादि।
कंप्यूटर हार्डवेयर को मुख्यत: दो भागों में विभाजित किया जाता है।
1 इंटरनल हार्डवेयर (Internal Hardware) :
इंटरनल हार्डवेयर वे हार्डवेयर होते है, जो सिस्टिम कैबिनेट के अन्दर लगे हुएं होते है। कंप्यूटर के अन्दर मौजूद वह भाग जो कंप्यूटर को चलाने में सहायता करते है , उन्हें इंटरनल हार्डवेयर कहते है। जैसे मदरबोर्ड, हार्ड ड्राइव, रॅम, सी पी यू, साउंड कार्ड, इत्यादि।
2 एक्सटर्नल हार्डवेयर (External Hardware)
एक्सटर्नल हार्डवेयर वे हार्डवेयर होते है, जो सिस्टिम कैबिनेट के बाहर लगे हुएं होते है। कंप्यूटर के बाहर मौजूद वह भाग जो कंप्यूटर को चलाने में सहायता करते है , उन्हें एक्सटर्नल हार्डवेयर कहते है। जैसे कीबोर्ड, माउस, मॉनिटर, प्रिंटर, इत्यादि।
1 इनपुट डिवाइस
कंप्यूटर को निर्देश देने के लिए या कंप्यूटर में डाटा एंटर करने के लिए जिन उपकरणों का उपयोग किया जाता है, उन्हें इनपुट डिवाइस (Input Device) कहते है।
इनपुट डिवाइस की जानकारी निम्नलिखित है।
1 कीबोर्ड (Keyboard) :
कीबोर्ड एक इनपुट डिवाइस है। कीबोर्ड का उपयोग कंप्यूटर में टेक्स्ट, कैरेक्टर, या डेटा को इनपुट करने के लिए किया जाता है। कीबोर्ड सबसे ज्यादा प्रयोग की जाने वाली इनपुट डिवाइस है। कीबोर्ड का आविष्कार क्रिस्टोफर लैथम शोलेज ने किया था।

कीबोर्ड पर स्थित कुंजियों का उपयोग निम्नलिखित है।
1 एंटर कुंजी (Enter Key) : टाइप करते समय नीचे की पंक्ति पर जाने के लिए एंटर कुंजी (Enter Key) का उपयोग होता है।
2. कैप्स लॉक (Caps Lock) : टाइप करते समय अक्षरों को कैपिटल या स्मॉल लेटर्स में करने के लिए ।
3 नम लॉक (Num Lock) : टाइप करते समय अंको का उपयोग करने के लिए।
4. स्पेस बटन (Space Button) : दो अक्षरों या शब्दों में जगह छोड़ने के लिए ।
5. बॅक स्पेस (Back Space) : टाइप किए गए अक्षर को मिटाने के लिए ।
6. शिफ्ट कुंजी (Shift Key) : कीबोर्ड बटन पर स्थित ऊपरी अक्षर टाइप करने के लिए ।
7. नेविगेशन कुंजी (Navigation Key) : टाइप करते समय कर्सर की जगह बदलने के लिए ।
8. डिलीट कुंजी (Delete Key) : टाइप करते समय कर्सर के दाई ओर के अक्षर मिटने के लिए या सिलेक्ट किए हुए टेक्स्ट को मिटाने के लिए।
कीबोर्ड कुंजी का उपयोग – पूरा पढ़े…… Click here
2 माउस (Mouse) :
माउस एक महत्वपूर्ण इनपुट डिवाइस है। कंप्यूटर में विभिन्न घटकों का चयन करने के लिए माउस का उपयोग किया जाता है। माउस का आविष्कार डगलस सी एंजेलबर्ट ने किया था।

एक माउस में आमतौर पर तीन बटन होते हैं।
1. लेफ्ट क्लिक – (Left Click) :
कंप्यूटर में किसी फाइल, इमेज, टेक्स्ट, या एलिमेंट का चयन करने के लिए लेफ्ट क्लिक का उपयोग किया जाता है।
2. राइट क्लिक – (Right Click) :
किसी फाइल से संबंधित विभिन्न विकल्पों Options को प्राप्त करने के लिए राइट क्लिक का उपयोग किया जाता है।
3. स्क्रॉल – (Scroll) :
किसी पेज में ऊपर से नीचे (डाउन-टू-अप) नेविगेट करने के लिए स्क्रॉल का उपयोग किया जाता है।
माउस आमतौर पर तीन प्रकार के होते हैं।
1. ऑप्टिकल माउस (Optical Mouse) :

ऑप्टिकल माउस सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला माउस प्रकार है। इस माउस में, कंप्यूटर स्क्रीन पर एरो पॉइंटर को माउस के नीचे से निकलने वाली प्रकाश किरणों द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
2. मैकेनिकल माउस (Mechanical Mouse) :
कंप्यूटर स्क्रीन पर एरो पॉइंटर को एक मैकेनिकल माउस में माउस के निचले हिस्से में स्थित एक छोटी गोल गेंद द्वारा नियंत्रित किया जाता है। इस माउस का कम इस्तेमाल किया जाता है।
3. वायरलेस या कॉर्डलेस माउस (Wireless Mouse) :

वायरलेस या कॉर्डलेस माउस एक बैटरी द्वारा संचालित माउस है। यह इन्फ्रारेड तरंगों के माध्यम से कंप्यूटर के साथ समन्वय करता है।
3 स्कॅनर (Scanner) :

स्कॅनर इनपुट डिवाइस का उपयोग विभिन्न प्रकार के दस्तावेज़ों, फ़ोटो, टेक्स्ट आदि को कंप्यूटर में संग्रहीत करने के लिए किया जाता है। स्कॅनर की मदद से हम कंप्यूटर में अपने दस्तावेज, फोटोग्राफ स्टोर कर सकते हैं। और फिर आप इसे अपनी आवश्यकता के अनुसार बाद में उपयोग कर सकते हैं। स्कॅनर का कार्य किसी हार्ड कॉपी को सॉफ्ट कॉपी में परिवर्तित करना होता है।
4 जॉयस्टिक (Joystick) :

जॉयस्टिक को प्वाइंटिंग डिवाइस भी कहा जाता है। यह सभी दिशाओं में घूम सकती है, और कर्सर के मूवमेंट को नियंत्रित करती है। जॉयस्टिक का इस्तेमाल ज्यादातर कंप्यूटर पर गेम खेलने के लिए किया जाता है। उपयोगकर्ता गेम खेलते समय जॉयस्टिक का उपयोग करके दबाव, गति और दिशा बदलते हैं।
5 माइक्रोफोन (माइक्रोफोन) :

माइक्रोफोन भी एक इनपुट डिवाइस है। जिसका उपयोग साउंड के रूप में इनपुट देने के लिए किया जाता है।
6 टच स्क्रीन (Touch Screen) :
टच स्क्रीन एक इनपुट डिवाइस है। जिसमें यूजर अपनी उंगलियों के द्वारा इनपुट देते है । टच स्क्रीन का उपयोग सामान्यतः मोबाइल, एटीएम, बैंक इत्यादि जगहों पर किया जाता है।
2 आउटपुट डिवाइस
इनपुट डिवाइस द्वारा दिए गए निर्देशो पर प्रोसेस करने के बाद उसका परिणाम हार्ड कॉपी या सॉफ्ट कॉपी के रूप में यूजर को प्रदान करता है उसे आउटपुट डिवाइस कहते है।
1 मॉनिटर (मॉनिटर) :
मॉनिटर एक महत्वपूर्ण आउटपुट डिवाइस है। मॉनिटर का उपयोग सूचना प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। मॉनिटर की स्क्रीन पर दिखाई देने वाली आउटपुट को सॉफ्टकॉपी कहा जाता है।

सामान्य प्रकार के मॉनिटर इस प्रकार हैं।
सीआरटी (कैथोड रे ट्यूब) CRT मॉनिटर :

सीआरटी (कैथोड रे ट्यूब) Cathode ray tube मॉनिटर पहले इस्तेमाल किया गया था। यह किसी पुराने टी. वी. के आकार का एक मॉनिटर हुआ करता था । इसे अधिक स्थान की आवश्यकता नहीं है। साथ ही, अन्य मॉनीटरों की तुलना में अधिक बिजली की आवश्यकता होती है।
फ्लैट-पैनल मॉनिटर (Flat Panel) :

ये सबसे व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले मॉनिटर हैं। तीन बुनियादी प्रकार के फ्लैट-पैनल मॉनिटर इस प्रकार हैं।
1. एलसीडी LCD (लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले) मॉनिटर (Liquid Crystal Display)
2. एलईडी LED (लाइट-एमिटिंग डायोड) मॉनिटर (Light Emitting diode)
3. ओएलईडी OLED (वनगैनिक लाइट-एमिटिंग डायोड) मॉनिटर (Organic Light Emitting diode)
2 प्रिंटर (Printer) :
प्रिंटर यह एक महत्वपूर्ण आउटपुट डिवाइस है। कंप्यूटर में टाइप की गई जानकारी को कागज पर प्रिंट करने के लिए एक प्रिंटर का उपयोग किया जाता है। प्रिंटर के आउटपुट को हार्डकॉपी कहा जाता है। प्रिंटर का रिज़ॉल्यूशन डीपीआई DPI (Dots Per Inch) डॉट्स प्रति इंच में मापा जाता है।

कुछ प्रकार के प्रिंटर इस प्रकार हैं।
1. इंकजेट प्रिंटर 2. लेजर प्रिंटर 3. थर्मल प्रिंटर 4. 3डी प्रिंटर 5. प्लॉटर्स
3 स्पीकर और हेडफ़ोन (Speaker and Headphones) : 🔊 🎧


स्पीकर और हेडफ़ोन व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले ऑडियो-आउटपुट डिवाइस है। ये डिवाइस कंप्यूटर की जानकारी को उन ध्वनियों में बदल देते हैं जिन्हें लोग समझ सकते है।
3 स्टोरेज डिवाइस
कंप्यूटर की एक महत्वपूर्ण विशेषता सूचनाओं को संग्रहीत करने की क्षमता यानी भंडारण Storage की क्षमता है। आइए जानते हैं कि कंप्यूटर में हमारे द्वारा स्टोर की गई जानकारी को कंप्यूटर कैसे स्टोर करता है।
सूचना को कंप्यूटर में दो तरह से संग्रहित किया जाता है।
1) प्रायमरी स्टोरेज (Primary Storage)
2) सेकंडरी स्टोरेज (Secondary Storage)
1) प्रायमरी स्टोरेज (Primary Storage)
प्रायमरी स्टोरेज (Primary Storage) अस्थायी है। यानी 1) प्रायमरी स्टोरेज (Primary Storage) में जानकारी थोड़े समय के लिए संग्रहीत की जाती है। प्रायमरी स्टोरेज का एक उदाहरण रैम है।

सिस्टम यूनिट के अंदर रैम चिप्स लगाए जाते हैं। रैम में संग्रहीत जानकारी अस्थायी है। जैसे, यदि कंप्यूटर पर काम करते समय कंप्यूटर अचानक बंद हो जाता है, तो आपके द्वारा टाइप किया गया डेटा कंप्यूटर को रिस्टार्ट करने के बाद पुनर्प्राप्त नहीं किया जाएगा। क्योंकि वह डेटा रैम में स्टोर किया जाता है। और अगर कंप्यूटर बंद है, तो वह डेटा खो जाता है।
क्योंकि रैम अस्थायी रूप से जानकारी संग्रहीत करता है। इसलिए कंप्यूटर पर काम करते समय आपका डेटा समय-समय पर सेव होना चाहिए।
2) सेकंडरी स्टोरेज (Secondary Storage) :
सेकंडरी स्टोरेज (Secondary Storage) स्थायी है। अर्थात सेकंडरी स्टोरेज में सूचना नष्ट नहीं होती है। सेकंडरी स्टोरेज के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं।
हार्ड डिस्क : हार्ड डिस्क सेकेंडरी स्टोरेज का एक उदाहरण है। यानी हार्ड डिस्क में संग्रहीत जानकारी स्थायी होती है। कंप्यूटर पर काम करते समय आपके द्वारा सेव किया गया डाटा हार्ड डिस्क में सेव हो जाता है। हार्ड डिस्क सेकेंडरी स्टोरेज का एक उदाहरण है। यानी हार्ड डिस्क में संग्रहीत जानकारी स्थायी होती है।

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2 सॉफ्टवेयर (Software):
कंप्यूटर के वे समस्त प्रोग्राम्स जिनके द्वारा कंप्यूटर को चलाया जाता है, जिन्हें न तो हम स्पर्श कर सकते है और न ही देख सकते है, उन्हें कंप्यूटर सॉफ्टवेयर (Software) कहते है।
सॉफ्टवेयर कंप्यूटर का महत्वपूर्ण भाग होता है। जिसके बिना हम कंप्यूटर पर कोई भी काम नहीं कर सकते है।
कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के दो प्रकार होते है।
1 सिस्टिम सॉफ्टवेयर System Software
2 एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर Application Software
1 सिस्टिम सॉफ्टवेयर System Software :
सिस्टिम सॉफ्टवेयर (System Software) को ऑपरेटिंग सिस्टिम भी कहते है। जैसे कि विंडोज, मैक ओएस, लिनक्स, इत्यादि।
ऑपरेटिंग सिस्टिम Operating System कंप्यूटर का सबसे प्रमुख सॉफ्टवेयर होता है । जिसके अंतर्गत अन्य सभी सॉफ्टवेयर काम करते हैं। ऑपरेटिंग सिस्टम यूजर और कंप्यूटर के एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (Application Software) तथा हार्डवेयर (Hardware) के बीच मध्यस्थता का काम करता है।
2 एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर Application Software :
एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर का उपयोग कंप्यूटर पर किसी विशिष्ट काम को करने के लिए किया जाता है। यह एक एंड यूजर सॉफ्टवेयर होता है। यानि एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर ऐसा प्रोग्राम होता है, जो विशेष रूप से यूजर के लिए बनाया जाता है। जैसे वर्ड प्रोसेसिंग, स्प्रेडशिट, पॉवरप्वाइंट, इंटरनेट आदि।
सॉफ्टवेअर क्या है ? पूरा पढ़ने के लिए….. Click Here
3 यूटिलिटीज (Utilities) :
यूटिलिटी सॉफ्टवेयर कंप्यूटर को रिपेयर करने या कंप्यूटर की कार्यक्षमता को बढ़ाने में मदद करते है।
यूटिलिटी सॉफ्टवेयर को सर्विस प्रोग्राम्स Service Program के नाम से भी जाना जाता है। जैसे एंटीवायरस, फाइल मैनेजर, डिस्क डीफ्रैगमैंट आदि।
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